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अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं / ख़ुमार बाराबंकवी
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18:13, 30 अगस्त 2009
मेरी याद से जंग फरमा रहे हैं
इलाही मेरे दोस्त हों
खैरियत
ख़ैरियत
से
ये क्यूँ घर में पत्थर नहीं आ रहे हैं
अनिल जनविजय
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