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"पत्ते / इला प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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19:31, 31 अगस्त 2009 का अवतरण

वक़्त की शाखों से

गिरते हैं पत्ते

दिनों के

आज, कल, परसों

 

हर पत्ते के साथ ही

मुरझाता जाता है मन

 

शाखें नहीं बदलती

नहीं बदलते सपने

कुम्हलाता है मन

 

इन टहनियों के सूखने

और नयी टहनियों के पनपने तक

गिनने हैं पत्ते

गुजारने हैं दिन