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पंचवटी / मैथिलीशरण गुप्त / पृष्ठ १
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11:58, 6 सितम्बर 2009
बना हुआ है प्रहरी जिसका,
उस कुटीर में क्या धन है।
जिसकी
रक्ष्
सेवा में रत इसका,
तन है, मन है, जीवन है।
म्रित्युलोक मालिन्य मेटने,
स्वामि संग जो आयी हैं।
तीन लोक की
लक्श्मी
लक्ष्मी
ने,
यह कुटी आज अपनाई है।
</poem>
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