गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मेरी ज़बान उनके दहन में हो ऐ करीम / साक़िब लखनवी
No change in size
,
18:49, 9 सितम्बर 2009
‘साक़िब’! जहाँ में इश्क़ की राहें हैं बेशुमार।
हैरान अक़्ल है कि
चलूं
चलूँ
किस निशान पर॥
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,271
edits