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<poem>नयनों की बात जब नयनों से हो जाती है | <poem>नयनों की बात जब नयनों से हो जाती है | ||
तन-मन में एक बिजली-सी कौंध जाती है | तन-मन में एक बिजली-सी कौंध जाती है |
14:30, 19 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
नयनों की बात जब नयनों से हो जाती है
तन-मन में एक बिजली-सी कौंध जाती है
साँसों की लय में गुम हो जाती है साँसें
शबनम जैसे जल के शोला हो जाती है
नयनों की बात जब नयनों से हो जाती है
तन-मन में एक बिजली-सी कौंध जाती है
उन्मादित हो उठती है दिल की धड़कन
मादक सा हो आता है सब सूनापन
अल्साई सुबह-सी बेला की ठंडक में
कोई तमन्ना मचल सी जाती है
नयनों की बात जब नयनों से हो जाती है
तन-मन में प्यार की मादकाता फैल जाती है
झुकी-झुकी नम सी हो जाती हैं बोझील पलकें
धुँधली-धुँधली साँझ जब घिर आती है
मधुर मिलन को मचलता मन मेरा
महुआ की सुगंध जिस्म में दौड़ जाती है
नयनों की बात जब नयनों से हो जाती है
सतरंगी सपनों से दुनिया सज़ जाती है
मेहंदी रच जाती है करों पर
नयनों में काजल घुल जाता है
सावन से काले गेसू का जादू
मनवा भटका सा जाता है
उर में जैसे कोई रागनी छिड़ जाती है
भीगी-भीगी मुस्कान से प्रीत सज़ जाती है
नयनों की बात जब नयनों से हो जाती है
तन-मन में एक बिजली-सी कौंध जाती है !!