भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चाँद-सितारों मिलकर गाओ / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=आकुल अंतर / हरिवंशराय बच्चन | |संग्रह=आकुल अंतर / हरिवंशराय बच्चन | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
चाँद-सितारों, मिलकर गाओ! | चाँद-सितारों, मिलकर गाओ! | ||
− | |||
आज अधर से अधर मिले हैं, | आज अधर से अधर मिले हैं, | ||
− | |||
आज बाँह से बाँह मिली, | आज बाँह से बाँह मिली, | ||
− | |||
आज हृदय से हृदय मिले हैं, | आज हृदय से हृदय मिले हैं, | ||
− | |||
मन से मन की चाह मिली; | मन से मन की चाह मिली; | ||
− | |||
चाँद-सितारों, मिलकर गाओ! | चाँद-सितारों, मिलकर गाओ! | ||
− | |||
चाँद-सितारों, मिलकर बोले, | चाँद-सितारों, मिलकर बोले, | ||
− | |||
कितनी बार गगन के नीचे | कितनी बार गगन के नीचे | ||
− | |||
प्रणय-मिलना व्यापार हुआ है, | प्रणय-मिलना व्यापार हुआ है, | ||
− | |||
कितनी बार धरा पर प्रेयसि- | कितनी बार धरा पर प्रेयसि- | ||
− | |||
प्रियतम का अभिसार हुआ है! | प्रियतम का अभिसार हुआ है! | ||
− | |||
चाँद-सितारों, मिलकर बोले। | चाँद-सितारों, मिलकर बोले। | ||
− | |||
चाँद-सितारों, मिलकर राओ! | चाँद-सितारों, मिलकर राओ! | ||
− | |||
आज अधर से अधर अलग है, | आज अधर से अधर अलग है, | ||
− | |||
आज बाँह से बाँह अलग | आज बाँह से बाँह अलग | ||
− | |||
आज हृदय से हृदय अलग है, | आज हृदय से हृदय अलग है, | ||
− | |||
मन से मन की चाह अलग; | मन से मन की चाह अलग; | ||
− | |||
चाँद-सितारों, मिलकर रोओ! | चाँद-सितारों, मिलकर रोओ! | ||
− | |||
चाँद-सितारों, मिलकर बोले, | चाँद-सितारों, मिलकर बोले, | ||
− | |||
कितनी बार गगन के नीचे | कितनी बार गगन के नीचे | ||
− | |||
अटल प्रणय का बंधन टूटे, | अटल प्रणय का बंधन टूटे, | ||
− | |||
कितनी बार धरा के ऊपर | कितनी बार धरा के ऊपर | ||
− | |||
प्रेयसि-प्रियतम के प्राण टूटे? | प्रेयसि-प्रियतम के प्राण टूटे? | ||
− | |||
चाँद-सितारों, मिलकर बोले। | चाँद-सितारों, मिलकर बोले। | ||
+ | </poem> |
19:40, 1 अक्टूबर 2009 का अवतरण
चाँद-सितारों, मिलकर गाओ!
आज अधर से अधर मिले हैं,
आज बाँह से बाँह मिली,
आज हृदय से हृदय मिले हैं,
मन से मन की चाह मिली;
चाँद-सितारों, मिलकर गाओ!
चाँद-सितारों, मिलकर बोले,
कितनी बार गगन के नीचे
प्रणय-मिलना व्यापार हुआ है,
कितनी बार धरा पर प्रेयसि-
प्रियतम का अभिसार हुआ है!
चाँद-सितारों, मिलकर बोले।
चाँद-सितारों, मिलकर राओ!
आज अधर से अधर अलग है,
आज बाँह से बाँह अलग
आज हृदय से हृदय अलग है,
मन से मन की चाह अलग;
चाँद-सितारों, मिलकर रोओ!
चाँद-सितारों, मिलकर बोले,
कितनी बार गगन के नीचे
अटल प्रणय का बंधन टूटे,
कितनी बार धरा के ऊपर
प्रेयसि-प्रियतम के प्राण टूटे?
चाँद-सितारों, मिलकर बोले।