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हाँ कहेंगे
 
हाँ कहेंगे
उसके अनुरक्त नेत्र
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उसके उदग्र-उत्सुक कुचाग्र
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उसकी देह की चकित धूप
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अनुरक्त नेत्र
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उदग्र-उत्सुक कुचाग्र
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उसकी देह की  
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चकित धूप
  
 
उसके आर्द्र अधर
 
उसके आर्द्र अधर

14:02, 4 अक्टूबर 2009 का अवतरण

Lotus-48x48.png  सप्ताह की कविता   शीर्षक: वह कैसे कहेगी
  रचनाकार: अशोक वाजपेयी
वह कैसे कहेगी – हाँ!

हाँ कहेंगे

उसके 
अनुरक्त नेत्र

उसके 
उदग्र-उत्सुक कुचाग्र

उसकी देह की 
चकित धूप

उसके आर्द्र अधर
कहेंगे – हाँ

वह कैसे कहेगी – हाँ ?