भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लहरों में साथ रहे कोई / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो ("लहरों में साथ रहे कोई / त्रिलोचन" सुरक्षित कर दिया [edit=sysop:move=sysop])
 
(कोई अंतर नहीं)

20:37, 4 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण


बाँह गहे कोई

अपरिचय के
सागर में
दृष्टि को पकड़ कर
कुछ बात कहे कोई ।

लहरें ये
लहरें वे
इनमें ठहराव कहाँ
पल
दो पल
लहरों के साथ रहे कोई ।