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<poem>
हमारे चेहरे धूल और पसीने से भर जाते हैं
बख़ार बुख़ार से तपा रहता है शरीर
उदासी बर्फ़ की तरह भीतर जमी रहती है
और तुम्हारी याद आती है तान्या
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