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अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> मम्मी पापा पुस्तक ला ...) |
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मम्मी पापा पुस्तक ला दो,
कविता कहानी कोई सुना दो
या मेरे संग मिलकर खेलो
या फिर अपना टी०वी० चला दो।
गाड़ी जब चलती है पापा,
आसमान भी चलता है क्या,
समझ नहीं आती यह बात,
चंदा तारे चलते साथ।
आसमान में सबसे न्यारा,
सूरज एक सितारा है,
अन्धकार को दूर भगाता
हर घर का उजियारा है।
किताबों में नानी
कहानी सुनाती है
पर मेरी नानी रात को
चुपचाप सो जाती है।