भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गर्म पकौड़ी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" | |रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" | ||
− | }}<poem> | + | }} |
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <poem> | ||
गर्म पकौड़ी- | गर्म पकौड़ी- | ||
ऐ गर्म पकौड़ी, | ऐ गर्म पकौड़ी, | ||
पंक्ति 20: | पंक्ति 22: | ||
बम्हन की पकाई | बम्हन की पकाई | ||
मैंने घी की कचौड़ी। | मैंने घी की कचौड़ी। | ||
+ | </poem> |
22:59, 8 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
गर्म पकौड़ी-
ऐ गर्म पकौड़ी,
तेल की भुनी
नमक मिर्च की मिली,
ऐ गर्म पकौड़ी !
मेरी जीभ जल गयी
सिसकियां निकल रहीं,
लार की बूंदें कितनी टपकीं,
पर दाढ़ तले दबा ही रक्खा मैंने
कंजूस ने ज्यों कौड़ी,
पहले तूने मुझ को खींचा,
दिल ले कर फिर कपड़े-सा फींचा,
अरी, तेरे लिए छोड़ी
बम्हन की पकाई
मैंने घी की कचौड़ी।