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आस्था-3 / राजीव रंजन प्रसाद
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13:40, 9 अक्टूबर 2009
मौत ही तो आई है मुझे
जी नहीं पाओगे तुम लेकिन
इतनी तो आस्था है
तुम्हे
तुम्हें
मुझपर..
</poem>
Shrddha
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