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"ठूँठ / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"" के अवतरणों में अंतर

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कुसुम से काम के चलते नहीं हैं तीर,
 
कुसुम से काम के चलते नहीं हैं तीर,
 
छाँह में बैठते नहीं पथिक आह भर,
 
छाँह में बैठते नहीं पथिक आह भर,
झरते नहीं यहाँ दो प्रणयियों नयन-तीर,
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झरते नहीं यहाँ दो प्रणयियों के नयन-तीर,
 
केवल वृद्ध विहग एक बैठता कुछ कर याद।
 
केवल वृद्ध विहग एक बैठता कुछ कर याद।
 
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02:03, 11 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

ठूँठ यह है आज!
गई इसकी कला,
गया है सकल साज!
अब यह वसन्त से होता नहीं अधीर,
पल्लवित झुकता नहीं अब यह धनुष-सा,
कुसुम से काम के चलते नहीं हैं तीर,
छाँह में बैठते नहीं पथिक आह भर,
झरते नहीं यहाँ दो प्रणयियों के नयन-तीर,
केवल वृद्ध विहग एक बैठता कुछ कर याद।