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"कहानी के फेर में / गिरिराज किराडू" के अवतरणों में अंतर
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अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरिराज किराडू }} {{KKCatKavita}} <poem> हिरामन तीन कसमें खात…) |
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10:36, 11 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
हिरामन तीन कसमें खाता है
फिर किसी कहानी का सुपात्र नहीं बनूंगा
फिर किसी कहानीकार को अपने बारे में नहीं लिखने दूंगा
फिर किसी कहानी में अपना ही पार्ट नहीं करुंगा –
रेणु थोड़ा उदास हो कर उसे देखते हैं फिर तनिक हँसकर कहते हैं
जा रे ज़माना, तू भी आ गया मेरी कहानी के फेर में!