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सुनसान रास्तों से सवारी न आएगी / बशीर बद्र
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14:39, 15 अक्टूबर 2009
सर पर ज़मीन लेके हवाओं के साथ जा
आहिस्ता चलने वाले की बारी न
जायेगी
आएगी
पहचान हमने अपनी मिटाई है इस तरह
बच्चों में कोई बात हमारी न आएगी
</poem>
Shrddha
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