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|रचनाकार=नागार्जुन  
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<Poem>
ॐ शब्द ही ब्रह्म है..
 
ॐ शब्द्, और शब्द, और शब्द, और शब्द
 
ॐ प्रणव, ॐ नाद, ॐ मुद्रायें
 
ॐ वक्तव्य, ॐ उदगार्, ॐ घोषणाएं
 
ॐ भाषण...
 
ॐ प्रवचन...
 
ॐ हुंकार, ॐ फटकार्, ॐ शीत्कार
 
ॐ फुसफुस, ॐ फुत्कार, ॐ चीत्कार
 
ॐ आस्फालन, ॐ इंगित, ॐ इशारे
 
ॐ नारे, और नारे, और नारे, और नारे 
 
ॐ सब कुछ, सब कुछ, सब कुछ
 
ॐ कुछ नहीं, कुछ नहीं, कुछ नहीं
 
ॐ पत्थर पर की दूब, खरगोश के सींग
 
ॐ नमक-तेल-हल्दी-जीरा-हींग
 
ॐ मूस की लेड़ी, कनेर के पात
 
ॐ डायन की चीख, औघड़ की अटपट बात
 
ॐ कोयला-इस्पात-पेट्रोल
 
ॐ हमी हम ठोस, बाकी सब फूटे ढोल
 
ॐ इदमान्नं, इमा आपः इदमज्यं, इदं हविः
 
ॐ यजमान, ॐ पुरोहित, ॐ राजा, ॐ कविः
 
ॐ क्रांतिः क्रांतिः सर्वग्वंक्रांतिः
 
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः सर्वग्यं शांतिः
 
ॐ भ्रांतिः भ्रांतिः भ्रांतिः सर्वग्वं भ्रांतिः
 
ॐ बचाओ बचाओ बचाओ बचाओ
 
ॐ हटाओ हटाओ हटाओ हटाओ
 
ॐ घेराओ घेराओ घेराओ घेराओ
 
ॐ निभाओ निभाओ निभाओ निभाओ 
 
ॐ दलों में एक दल अपना दल, ॐ
 
ॐ अंगीकरण, शुद्धीकरण, राष्ट्रीकरण
 
ॐ मुष्टीकरण, तुष्टिकरण, पुष्टीकरण
 
ॐ ऎतराज़, आक्षेप, अनुशासन
 
ॐ गद्दी पर आजन्म वज्रासन
 
ॐ ट्रिब्यूनल, ॐ आश्वासन
 
ॐ गुटनिरपेक्ष, सत्तासापेक्ष जोड़-तोड़
 
ॐ छल-छंद, ॐ मिथ्या, ॐ होड़महोड़
 
ॐ बकवास, ॐ उदघाटन
 
ॐ मारण मोहन उच्चाटन
 
ॐ काली काली काली महाकाली महकाली
 
ॐ मार मार मार वार न जाय खाली
 
ॐ अपनी खुशहाली
 
ॐ दुश्मनों की पामाली
 
ॐ मार, मार, मार, मार, मार, मार, मार
 
ॐ अपोजीशन के मुंड बने तेरे गले का हार
 
ॐ ऎं ह्रीं क्लीं हूं आङ
 
ॐ हम चबायेंगे तिलक और गाँधी की टाँग
 
ॐ बूढे की आँख, छोकरी का काजल
 
ॐ तुलसीदल, बिल्वपत्र, चन्दन, रोली, अक्षत, गंगाजल
 
ॐ शेर के दांत, भालू के नाखून, मर्कट का फोता
 
ॐ हमेशा हमेशा राज करेगा मेरा पोता
 
ॐ छूः छूः फूः फूः फट फिट फुट
 
ॐ शत्रुओं की छाती अर लोहा कुट
 
ॐ भैरों, भैरों, भैरों, ॐ बजरंगबली
 
ॐ बंदूक का टोटा, पिस्तौल की नली
 
ॐ डॉलर, ॐ रूबल, ॐ पाउंड
 
ॐ साउंड, ॐ साउंड, ॐ साउंड 
 
ॐ ॐ ॐ
 
ॐ धरती, धरती, धरती, व्योम, व्योम, व्योम, व्योम
 
ॐ अष्टधातुओं के ईंटो के भट्टे
 
ॐ महामहिम, महमहो उल्लू के पट्ठे
 
ॐ दुर्गा, दुर्गा, दुर्गा, तारा, तारा, तारा
 
ॐ इसी पेट के अन्दर समा जाय सर्वहारा
 
हरिः ॐ तत्सत, हरिः ॐ तत्सत
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