भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"माइकिल एंजिलो की तीसरी बहन / अग्निशेखर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अग्निशेखर |संग्रह=मुझसे छीन ली गई मेरी नदी / अग्...) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=मुझसे छीन ली गई मेरी नदी / अग्निशेखर | |संग्रह=मुझसे छीन ली गई मेरी नदी / अग्निशेखर | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
<Poem> | <Poem> | ||
वह झटककर तोड़ती है धागा | वह झटककर तोड़ती है धागा |
23:46, 31 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
वह झटककर तोड़ती है धागा
और बची हुई मनुष्यता को मरने नहीं देती
ऎसा नहीं कि तोड़ना उसकी आदत है
और अपनी बहनों से बनती नहीं उसकी
जिन लोगों ने तीनों बहनों के सामने से गुज़रकर
उन्हें आपस में बतियाते हुए देखा है
जानते हैं वे उनके आपसी प्रेम को
परन्तु यह बहन तोड़ती रहती है धागा
उसे पसन्द नहीं कि मन से उखड़ने के बाद भी
वह ढोती फिरे घिसे हुए सम्बन्ध
और भूल जाए खुली हवा में साँस लेने की आदत
माइकिल एंजिलो, मैं तुम्हारी इस बहन को
दिखाना चाहता हूँ अपना बहुत-सा धागा
जो मेरे अन्दर उलझा पड़ा है
गचड़-पचड़ में