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"विपरीत रसायन / अजन्ता देव" के अवतरणों में अंतर
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11:23, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
स्त्रियाँ नहीं बन सकतीं शराबी
यह कहा होगा कवि ने
मेरे हाथ से पीकर
अगर बन जातीं स्त्रियाँ शराबी
तो पिलाता कौन
मेरे प्याले भरे हैं मद से
केसर-कस्तूरी झलझला रही है
वैदूर्यमणि-सी
कीमियागर की तरह
मैं मिला रही हूँ
दो विपरीत रसायन
विस्फोट होने को है
मैं प्रतीक्षा करूंगी तुम्हारे डगमगाने की ।