Changes

{{KKRachna
|रचनाकार=अज्ञेय
}}{{KKCatKavita}}<poem>
प्राण तुम्हारी पदरज़ फूली
मुझको कंचन हुई तुम्हारे चरणों की यह
अंतर में पराग सी छाई है स्मृतियों की आशा धूली!
प्राण तुम्हारी पदरज़ फूली!
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits