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"घंटी / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर

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15:36, 4 नवम्बर 2009 का अवतरण

 
फ़ोन की घंटी बजी
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
और करवट बदल कर सो गया
दरवाज़े की घंटी बजी
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
और करवट बदल कर सो गया
अलार्म की घंती बजी
मैंने कहा- मैं नहीं हूँ
और करवट बदल कर सो गया
एक दिन
मौत की घंटी बजी...
हड़बड़ा कर उठ बैठा-
मैं हूँ- मैं हूँ- मैं हूँ
मौत ने कहा-
करवट बदल कर सो जाओ।