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बारिश लगातार भुवन में भरी ज्यों हवा ज्यों धूप 
  
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तुम इंद्रधनुष हो|
 
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देखूँ और कितना जल सोखता है मेरा शरीर<br>
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तुम इंद्रधनुष हो|<br><br>
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12:08, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

लगातार बारिश हो रही है लगातार तार-तार
कहीं घन नहीं न गगन बस बारिश एक धार
भींग रहे तरुवर तट धान के खेत मिट्टी दीवार
बाँस के पुल लकश मीनार स्तूप
बारिश लगातार भुवन में भरी ज्यों हवा ज्यों धूप

कोई बरामदे में बैठी चाय पी रही है पाँव पर पाँव धर
सोखती है हवा अदरक की गंध
मेरी भींगी बरौनियाँ उठती हैं और सोचता हूँ
देखूँ और कितना जल सोखता है मेरा शरीर
तुम इंद्रधनुष हो|