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मतलब / अरुण कमल

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|संग्रह = सबूत / अरुण कमल
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मैंने लाल दहकती हुई धमन भट्ठी देखी
 
और लगा कोई बुला रहा है
 
जैसे कोई दिल खुल रहा हो मेरे लिए
 
फाँक-फाँक हो रहा हो सूर्य-सन्तरा
 
मैं जब भी चित्त
 
मैदान में लेटा
 
आसमान बड़ी आँख की तरह
 
खींचने लगा मुझे
 
:::एकटक
 
और नदी के ठीक बीच में
 
जहाँ जल बिल्कुल स्थिर गाढ़ा था
 
लगा कोई गोद है वहाँ कोई वक्ष
 
और तारों भरा आकाश
 
काले पहाड़-सा जिसके रोम-रोम से फूटा हो
 
::::चमचम झरना
 
यह सब इतना सुन्दर क्यों है?
 
आख़िर क्या मतलब है इसका?
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