भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कुछ लोग / जया जादवानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जया जादवानी |संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्व…)
 
छो ("कुछ लोग / जया जादवानी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
(कोई अंतर नहीं)

01:24, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण

बहुत सट कर बैठो फिर भी
उठकर चले ही जते हैं कुछ लोग
मंज़िल आने से पहले
यूँ अभी भी कसके पकड़ा हुआ है हाथ
यूँ अभी भी जगहें
दिखती हैं भरी हुईं।