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{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
|संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री
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<poem>
'''वेद-ए-मुक़दस'''
 
 
शुऊरे-इन्साँ के आफ़ताबे-अज़ीम की अव्वलीं शुआएँ
जो लह्‌नो-आवाज़ बन गयी हैं
ये दिल में किस नूर की ज़िया<ref>आभा</ref> है
बशर का जल्वा है या ख़ुदा है?
 
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</poem>
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