"सम्राट की आज्ञा / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
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10:54, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
सुनो ! सुनो ! सुनो !
प्रजा परमात्मा की
आज्ञा सम्राट की
हर नागरिक को सूचना दी जाती है
कि इस पूर्णिमा से
महाराज ने
अहिंसा का व्रत है लिया
अब से होगी
पशुओं पर दवा
महामहिम का रथ
नही खींचेंगे
बैल या घोड़े
जुतेंगे अब से आदमी
सुनें ! सुनें ! सुनें !
विज्ञापित की जा रही हैं
एक-हज़ार-पर-एक आसामियां
दर्ज़ा प्रथम
अंधे कहारों की
जो डोली के साथ-साथ
अर्थी को कंधा देने में भी
निपुण हों
हुनहुना-हुनहुना
हुनहुना रे हुनहुना ।
पर्याप्त स्थान
सुरक्षित रहेंगे
उन महानुभावों के लिए---
जिनको कम दिखता हो
जो अशोभनीय न देखें
महारानी को नज़र न लगाएं
उनके कद पर हंसने की धृष्टता न करें
भूले से भी
महाराज की दीप्त आँख से
आँख न मिलाएं
सभी योग्यजन सुनें :
नौ सौ निन्यानवे पद राजपत्रित
रिक्त हैं
उन महानुभावों के लिए
जो अपनी ज़ुबान हथेली पर रखकर
महाराज के सम्मुख प्रस्तुत हों
ताकि सनद रहे
कि उनकी निष्ठा संदिग्ध नहीं
सभी जानें
और जानकर मानें कि
बोलने का हक
मात्र महाराज का
और महाराज के बाद
उनके युवराज का है
अलबता
जिन पदों के लिए
नहीं मिलेंगे गूंगे
जनहित में
नहीं रखें जाएंगे
वे भी रिक्त अवसर दिया जाएगा
कम-से-कम शब्द जानने
और उससे-भी-कम बोलनेवालों को
ताकि महारज द्वारा वर्गीकृत भेद
और गुप्त सूचनाएं
निर्यात न हों
अंधें-गूंगे उपलब्ध न होने पर
बहरों के प्रार्थना-पत्रों पर भी
विचार किया जाएगा
यदि उनके साथ
पंजीकृत चिकित्सक का प्रमाण-पत्र
संलग्न हो
क्योंकि.शोभा-यात्रा के रथ को लेकर
होने वाले राजसी वार्तालाप को
न सुनना ही
अधिकारी की सेहत के लिए
मुफीद होता है
इसीलिए,प्राथमिकता दी जाएगी
खानदानी अंधों, गूंगों, बहरों को
आदमी को मिलेगा रोज़गार
पशु घोषित होंगे बेकार
सम्राट को आज्ञानुसार
अब पशुओं को / राज्य द्वारा
दुगुने दामों पर
खरीदा जाएगा
परंतु उनका स्थानांतरण
कसाईबाड़े को
किया जा सकेगा
सुनो ! सुनो ! सुनो !
प्रजा परमात्मा की
आज्ञा सम्राट की
हर नागरिक को सूचना दी जा रही है
कि इस पूर्णिमा से
महाराज ने
अहिंसा का व्रत है लिया
अब से होगी
हर पशु पर दया ।