"सिन्दबाद :चार / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
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अनेक कद्दावर यात्रियों की हत्या कर दी | अनेक कद्दावर यात्रियों की हत्या कर दी | ||
तब सिन्दबाद को अहसास हुआ | तब सिन्दबाद को अहसास हुआ |
10:55, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण
रचजब उन गलीज़ बौनों ने
अनेक कद्दावर यात्रियों की हत्या कर दी
तब सिन्दबाद को अहसास हुआ
कि भिनभिनाते पगले छुटकों से
न उलझने का उसका निर्णय
कितना सही था।
लड़ना ही पड़ा तो लड़ेगा,
मरना ही पड़ा तो मरेगा,
मार सका तो मारेगा भी
धधकती आँख वाले
भूख के उस विराट राक्षस को
जिसके आबनूस की जादुई लकड़ी से बने द्वारा वाले
महल के आंगन में
हर रोज़ जलता है---एक अलाव
और अलाव के पास रखी हैं
आदमी के दुःखों की छड़ें अनेक
जिनपर पिरोकर वह हर रोज़
आदमजात को भूनता है
और भूनकर खा जाता है
बावजूद इसके---आज सिंदबाद आश्वस्त है
क्योंकि उसने तय कर लिया है।
कि आज रात
सोये हुए राक्षस की बन्द आंख को
अलाव मे दहकाई छड़ से दाग़ देगा
सिंदबाद बौनों से नहीं,कद्दावर राक्षसों से जूझेगा ।
वह बौनों से नहीं,कद्दावर राक्षसोंसे जूझेगा॥ना यहाँ टाइप करें