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"नायकी कान्हड़ा / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर
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सुनकर मैं झाँकता हूँ | सुनकर मैं झाँकता हूँ | ||
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एक सूने मकान के अन्दर | एक सूने मकान के अन्दर | ||
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दालान खाली था | दालान खाली था | ||
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जीने पर जमा था | जीने पर जमा था | ||
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कई मौसमों का गुबार | कई मौसमों का गुबार | ||
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अन्दर घुसता हूँ | अन्दर घुसता हूँ | ||
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तो आवाज़ बन्द हो जाती है | तो आवाज़ बन्द हो जाती है | ||
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आती सुनायी देती है | आती सुनायी देती है | ||
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खाली टेप की-सी घिसघिसाहट | खाली टेप की-सी घिसघिसाहट | ||
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यहाँ न हवा थी | यहाँ न हवा थी | ||
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न कोई बेकल आत्मा | न कोई बेकल आत्मा | ||
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शायद था मेरी | शायद था मेरी | ||
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अपनी ही पोशाक का हाहाकार। | अपनी ही पोशाक का हाहाकार। | ||
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18:56, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
नायकी कान्हड़ा की द्रुत गत
सुनकर मैं झाँकता हूँ
एक सूने मकान के अन्दर
दालान खाली था
जीने पर जमा था
कई मौसमों का गुबार
अन्दर घुसता हूँ
तो आवाज़ बन्द हो जाती है
आती सुनायी देती है
खाली टेप की-सी घिसघिसाहट
यहाँ न हवा थी
न कोई बेकल आत्मा
शायद था मेरी
अपनी ही पोशाक का हाहाकार।