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"ज्वारित मन:स्थितियां / इला कुमार" के अवतरणों में अंतर
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धुंध की चादर फटती है | धुंध की चादर फटती है | ||
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रोमकूपों को झनझनाती हुयी एक चकाचौंध | रोमकूपों को झनझनाती हुयी एक चकाचौंध | ||
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दूर-दूर तक निर्मल आकाश, | दूर-दूर तक निर्मल आकाश, | ||
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नीले रंग की चमक में डूबते उतराते करोडों करोड़ | नीले रंग की चमक में डूबते उतराते करोडों करोड़ | ||
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सितारे | सितारे | ||
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चकमक चकमक, चांदनी | चकमक चकमक, चांदनी | ||
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ज्वरित मन:स्थितियों का तनाव | ज्वरित मन:स्थितियों का तनाव | ||
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व्यथित घड़ियों के बीच से | व्यथित घड़ियों के बीच से | ||
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एक बीमार चेहरा उभरता है, | एक बीमार चेहरा उभरता है, | ||
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पीला सा, | पीला सा, | ||
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थोडी देर यूं ही टकटकी लगाये देखता है, | थोडी देर यूं ही टकटकी लगाये देखता है, | ||
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मैं बेतरतीब उग आये कांटो के असहज तनाव को | मैं बेतरतीब उग आये कांटो के असहज तनाव को | ||
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झेलती, | झेलती, | ||
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रो देती हूं | रो देती हूं | ||
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एक युग बीत गया था, | एक युग बीत गया था, | ||
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पता नहीं क्या बीत गया, | पता नहीं क्या बीत गया, | ||
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अचानक, | अचानक, | ||
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खुशनुमा रोशनी के साथ चेहरे का पीलापन धुल गया, | खुशनुमा रोशनी के साथ चेहरे का पीलापन धुल गया, | ||
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पलटकर देखने से सौ मुस्कुराहटों में डूबा | पलटकर देखने से सौ मुस्कुराहटों में डूबा | ||
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गुलाबी आभा में दमकता, | गुलाबी आभा में दमकता, | ||
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चेहरा | चेहरा | ||
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हर गम भूलकर मैं बेतहाशा मुस्करा उठती हूं | हर गम भूलकर मैं बेतहाशा मुस्करा उठती हूं | ||
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19:45, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
धुंध की चादर फटती है
नि:शब्द
रोमकूपों को झनझनाती हुयी एक चकाचौंध
दूर-दूर तक निर्मल आकाश,
नीले रंग की चमक में डूबते उतराते करोडों करोड़
सितारे
चकमक चकमक, चांदनी
ज्वरित मन:स्थितियों का तनाव
व्यथित घड़ियों के बीच से
एक बीमार चेहरा उभरता है,
पीला सा,
थोडी देर यूं ही टकटकी लगाये देखता है,
मैं बेतरतीब उग आये कांटो के असहज तनाव को
झेलती,
रो देती हूं
एक युग बीत गया था,
पता नहीं क्या बीत गया,
अचानक,
खुशनुमा रोशनी के साथ चेहरे का पीलापन धुल गया,
पलटकर देखने से सौ मुस्कुराहटों में डूबा
गुलाबी आभा में दमकता,
चेहरा
हर गम भूलकर मैं बेतहाशा मुस्करा उठती हूं