भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अनवरतता / इला कुमार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= कार्तिक का पहला गुलाब / इला कुमार | |संग्रह= कार्तिक का पहला गुलाब / इला कुमार | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | <poem> | |
जंगल के सिरे पर गूँजती है मुर्गे की बांग | जंगल के सिरे पर गूँजती है मुर्गे की बांग | ||
− | |||
नदी की धार अर्ध आलोकित | नदी की धार अर्ध आलोकित | ||
− | |||
क्रोड़ में दुबका चिड़िया का बच्चा जग पड़ा है | क्रोड़ में दुबका चिड़िया का बच्चा जग पड़ा है | ||
− | |||
मानुष छौने से सदृश्य दबी-दबी सी चहचहाट | मानुष छौने से सदृश्य दबी-दबी सी चहचहाट | ||
− | |||
रस घोल जाती है | रस घोल जाती है | ||
− | |||
वन प्रान्तर के अदेखे लोक में | वन प्रान्तर के अदेखे लोक में | ||
− | |||
ममत्व की | ममत्व की | ||
− | |||
अनवरतता | अनवरतता | ||
− | |||
दिग्दिगांतर आप्लावित | दिग्दिगांतर आप्लावित | ||
+ | </poem> |
19:56, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
जंगल के सिरे पर गूँजती है मुर्गे की बांग
नदी की धार अर्ध आलोकित
क्रोड़ में दुबका चिड़िया का बच्चा जग पड़ा है
मानुष छौने से सदृश्य दबी-दबी सी चहचहाट
रस घोल जाती है
वन प्रान्तर के अदेखे लोक में
ममत्व की
अनवरतता
दिग्दिगांतर आप्लावित