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"राम का आँसू /आलोक श्रीवास्तव-२" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=यह धरती हमारा ही स्वप्न है / आलोक श्रीवास्तव-२
 
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सरयू-तट के जनपदों से लेकर
 
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7.11.2002
 
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उपरोक्त कवित में हिन्दी के अनेक प्रमुख कवियों की काव्य-पंक्तियाँ इस्तेमाल हुई हैं। उनके प्रति कृतज्ञ है कवि।
 
उपरोक्त कवित में हिन्दी के अनेक प्रमुख कवियों की काव्य-पंक्तियाँ इस्तेमाल हुई हैं। उनके प्रति कृतज्ञ है कवि।
 
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01:17, 10 नवम्बर 2009 का अवतरण

सरयू-तट के जनपदों से लेकर
मुंबई की उजाड़ मिलों तक
भूख और ज़ुल्म का मंज़र था
क़त्लेआम थे

एक आँसू अटका हुआ
चीर नहीं पा रहा था
पाताल

निराला के राम का आँसू
कितना बेबस था!
रामभक्तों की सत्ता
कितनी सर्वजयी!!

7.11.2002

उपरोक्त कवित में हिन्दी के अनेक प्रमुख कवियों की काव्य-पंक्तियाँ इस्तेमाल हुई हैं। उनके प्रति कृतज्ञ है कवि।