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चाहिए जरूर इनसानियत मानुस को,
नौबत बजे वै फेर भेर बजनो कहा
जात और अजात कहा, हिन्दू औ मुसलमान
जाने कियो नेह, फेर, ताते भजनो कहा
'ग्वाल कवि' जाके लिए सीस पै बुराई लई
लाजहू गँवाई, कहो फेर लजनो कहा
या तो रंग काहू के न रंगिए सुजान प्यारे
रंगे तौ रंगोई रहै, फेर तजनो कहा।
ग्वाल का यह दुर्लभ छन्द श्री सुरेश सलिल के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।