भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मेरा-तुम्हारा / दुष्यन्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दुष्यन्त }} {{KKCatKavita}} <poem> सांझा अपना इतिहास सांझा अपन…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
03:13, 16 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
सांझा अपना इतिहास
सांझा अपना वर्तमान
तुम्हारे दुख में शामिल मेरा दुख
तुम्हारे सुख में शामिल मेरा सुख
जैसे मेरे सुख में शामिल तुम्हारा सुख
मेरे दुख में शामिल तुम्हारा दुख
यह धरती
यह आकाश
पानी
वन
जानवर
हवा
जितने तुम्हारे
उतने ही मेरे
सांझे सपने जैसा
जो आता है आंखों में
कभी तुम्हारी
कभी मेरी।
मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा