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"समय-2 / दुष्यन्त" के अवतरणों में अंतर

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03:16, 16 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

समय की रेतघड़ी में
मोह की बारिश खो गई कहीं

हर घर में पसर गया मौन
छा गया अंधेरा

मेरा राम तुम्हारा रहीम
दोनों गुनहगार हो गए।

 
मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा