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"मुक्त देश / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर
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तानाशाही का पर, हाल विचित्र, | तानाशाही का पर, हाल विचित्र, | ||
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01:19, 17 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
मुक्त देश का यह लक्षण है मित्र!
कष्ट अल्प, पर, शोर बहुत होता है।
तानाशाही का पर, हाल विचित्र,
जीभ बाँध जन मन-ही-मन रोता है।