भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मुक्त देश / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर" |संग्रह=नये सुभाषित / रामधा…)
 
 
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
::कष्ट अल्प, पर, शोर बहुत होता है।
 
::कष्ट अल्प, पर, शोर बहुत होता है।
 
तानाशाही का पर, हाल विचित्र,
 
तानाशाही का पर, हाल विचित्र,
जीभ बाँध जन मन-ही-मन रोता है।
+
::जीभ बाँध जन मन-ही-मन रोता है।
 
</poem>
 
</poem>

01:19, 17 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

मुक्त देश का यह लक्षण है मित्र!
कष्ट अल्प, पर, शोर बहुत होता है।
तानाशाही का पर, हाल विचित्र,
जीभ बाँध जन मन-ही-मन रोता है।