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"प्रसिद्धि / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर

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मरणोपरान्त जीने की है यदि चाह तुझे,
 
मरणोपरान्त जीने की है यदि चाह तुझे,
 
तो सुन, बतलाता हूँ मैं सीधी राह तुझे,
 
तो सुन, बतलाता हूँ मैं सीधी राह तुझे,
 
लिख ऐसी कोई चीज कि दुनिया डोल उठे,
 
लिख ऐसी कोई चीज कि दुनिया डोल उठे,
 
या कर कुछ ऐसा काम, जमाना बोल उठे।
 
या कर कुछ ऐसा काम, जमाना बोल उठे।
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जिस ग्रन्थ में लिखते सुधी, यश खोजना अपकर्म है,
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उस ग्रन्थ में ही वे सुयश निज आँक जाते हैं।
 
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21:38, 20 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

(१)
मरणोपरान्त जीने की है यदि चाह तुझे,
तो सुन, बतलाता हूँ मैं सीधी राह तुझे,
लिख ऐसी कोई चीज कि दुनिया डोल उठे,
या कर कुछ ऐसा काम, जमाना बोल उठे।

(२)
जिस ग्रन्थ में लिखते सुधी, यश खोजना अपकर्म है,
उस ग्रन्थ में ही वे सुयश निज आँक जाते हैं।