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"छब्बीस जनवरी / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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लोकतंत्र का पर्व शुभंकर  
 
लोकतंत्र का पर्व शुभंकर  
 
मंगलमय हो !
 
मंगलमय हो !
 
 
   
 
   
 
तानाशाही मिटे ,
 
तानाशाही मिटे ,
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सम्प्रदाय औ'  जातिवाद की
 
सम्प्रदाय औ'  जातिवाद की
 
  धुंध कटे , अंधियार छंटे !
 
  धुंध कटे , अंधियार छंटे !
 
 
   
 
   
 
गति को वरें -
 
गति को वरें -
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प्राणों की पुकार को
 
प्राणों की पुकार को
 
  सुन लें !
 
  सुन लें !
 
 
   
 
   
 
अब तक का इतिहास यही है :
 
अब तक का इतिहास यही है :
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सब  
 
सब  
 
जनता के खसम बन गए !
 
जनता के खसम बन गए !
 
 
   
 
   
 
ऐसा ही होता आया है !
 
ऐसा ही होता आया है !
 
ऐसा ही होने वाला है !!
 
ऐसा ही होने वाला है !!
 
 
   
 
   
 
कब तक  
 
कब तक  
 
लोक शक्ति मुहताज रहेगी
 
लोक शक्ति मुहताज रहेगी
 
त्रिशंकुओं के तंत्र मंत्र की ?
 
त्रिशंकुओं के तंत्र मंत्र की ?
 
 
   
 
   
 
लोकतंत्र में जो निर्णय हो  
 
लोकतंत्र में जो निर्णय हो  
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कुर्सीवालों के समक्ष अब  
 
कुर्सीवालों के समक्ष अब  
 
एक समांतर लोकपक्ष हो !!
 
एक समांतर लोकपक्ष हो !!
 
 
   
 
   
 
जो हो ,
 
जो हो ,
 
जनता की इच्छा से तय हो !
 
जनता की इच्छा से तय हो !
 
 
   
 
   
 
लोकतंत्र का पर्व शुभंकर  
 
लोकतंत्र का पर्व शुभंकर  
 
मंगलमय हो !!  
 
मंगलमय हो !!  
 
 
 
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20:20, 24 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

लोकतंत्र का पर्व शुभंकर
मंगलमय हो !
 
तानाशाही मिटे ,
उपनिवेशी सोच हटे ,
सम्प्रदाय औ' जातिवाद की
 धुंध कटे , अंधियार छंटे !
 
गति को वरें -
प्रगति को चुन लें -
दलबंदी के दलदल में जो
संविधान के पाँव फँसे हैं !

धनबल,भुजबल की कीचड में
जन गण जो आकंठ धँसे हैं ,
प्राणों की पुकार को
 सुन लें !
 
अब तक का इतिहास यही है :
प्रभुता पाकर
सब
जनता के खसम बन गए !
 
ऐसा ही होता आया है !
ऐसा ही होने वाला है !!
 
कब तक
लोक शक्ति मुहताज रहेगी
त्रिशंकुओं के तंत्र मंत्र की ?
 
लोकतंत्र में जो निर्णय हो
नीर - क्षीर सबके समक्ष हो !
कुर्सीवालों के समक्ष अब
एक समांतर लोकपक्ष हो !!
 
जो हो ,
जनता की इच्छा से तय हो !
 
लोकतंत्र का पर्व शुभंकर
मंगलमय हो !!