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तेरी बातें तेरे अल्फाज़ / संकल्प शर्मा
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21:21, 4 दिसम्बर 2009
जैसे बच्चे के हाथों में
पूरे हफ़्ते की ’जेबखर्ची’ के सिक्के।
जितना कसके पकड़ता हूँ..
कमबख्त
कमबख़्त
!
फिसलते जाते हैं यूँ ही।
जैसे फिसले थे तेरे सुर्ख लबों से उस दिन,
अनिल जनविजय
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