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निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करें सनमान ।
 
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तेहिं के कारज शकल शुभ,सि़द्व करें हनुमान ।।
 
तेहिं के कारज शकल शुभ,सि़द्व करें हनुमान ।।
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जय हनुमंत संत हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।
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जन के काज विलंब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै ।
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जैसे कूदि सिंधु महि पारा,सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।
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आगे जाय लंकिनी रोका, मारेहुं लात गई सुरलाका ।
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जाय विभीषण को सुख दीन्हा,सीता निरखि परम पद लीन्हा ।
  
  
 
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17:38, 6 दिसम्बर 2009 का अवतरण



== बजरंग बाण ==

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करें सनमान ।
तेहिं के कारज शकल शुभ,सि़द्व करें हनुमान ।।

जय हनुमंत संत हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।
जन के काज विलंब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै ।
जैसे कूदि सिंधु महि पारा,सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।
आगे जाय लंकिनी रोका, मारेहुं लात गई सुरलाका ।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा,सीता निरखि परम पद लीन्हा ।