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"लुहार / हरे प्रकाश उपाध्याय" के अवतरणों में अंतर
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लोहे का स्वाद भले न जानते हों
पर लोहे के बारे में
सबसे ज़्यादा जानते हैं लुहार
मसलन लुहार ही जानते हैं
कि लोहे को कब
और कैसे लाल करना चाहिए
और उन पर कितनी चोट करनी चाहिए
वे जनाते हैं
कि किस लोहे में कितना लोहा है
और कौन-सा लोहा
अच्छा रहेगा कुदाल के लिए
और कौन-सा बन्दूक की नाल के लिए
वे जानते हैं कि कितना लगता है लोहा
लगाम के लिए
वे महज़
लोहे के बारे में जानते ही नहीं
लोहे को गढ़ते-सँवारते
ख़ुद लोहे में समा जाते हैं
और इन्तज़ार करते हैं
कि कोई लोहा लोहे को काटकर
उन्हें बाहर निकालेगा
हालाँकि लोहा काटने का गुर वे ही जानते हैं
लोहे को
जब बेचता है लोहे का सौदागर
तो बिक जाते हैं लुहार
और इस भट्टी से उस भट्टी
भटकते रहते हैं!