भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रति विकास / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह }} {{KKCatKavita‎}} <poem> औरत बनती लडकी बगैर …)
(कोई अंतर नहीं)

03:19, 11 दिसम्बर 2009 का अवतरण

औरत बनती लडकी
बगैर लिखे पन्ने की तरह
फड़फड़ाई

फड़फड़ाई और
ख़ुद से
अलग हो गई

अलग हो गई
ख़ुद में वापस न आने के लिए
कभी /


रचनाकाल : 3 अप्रेल 1991 विदिशा



शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रविन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।