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"नया नर्क / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर

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रचनाकाल : 23.10.1991
 
रचनाकाल : 23.10.1991
  
'''शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रविन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।'''
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'''शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि [[कुँअर रवीन्द्र]] के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।'''
 
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02:38, 18 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण


फिर हुआ
पृथ्वी पर एक नए नर्क का निर्माण
विपत्ति की चपेट में आई भाषा
संकट के घेरे में आई अभिव्यक्ति
होंठों से पुतलियों की और सरकने लगे शब्द

फिर हुआ
पृथ्वी पर नए नर्क का निर्माण
विरूपता की आधुनिकता को बरकरार रखने के लिए
बरकरार रखने के लिए विकलांगता की अस्मिता
चिपचिपी काली बारिश की पहचान पक्की करने के लिए

फिर हुआ
पृथ्वी पर एक नए नर्क का निर्माण
आदमी की चीख़ और बमों के धमाकों के बीच
सुरक्षित रखने के लिए अपना जातीय संगीत
आदेशवर्षी कंठों ने गया सर्वनाश का युगल गान

विध्वंस की तलछट से बना
नर्क का यह नमूना
संसार के
सर्वाधिक सभ्य और जिद्दी हाथों ने तैयार किया
पृथ्वी पर एक नये नर्क का निर्माण हुआ फिर

रचनाकाल : 23.10.1991

शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रवीन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।