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"पिता से गले मिलते / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर
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+ | उनका संसार अभी जीवित है। | ||
− | उसे अच्छे लगते वे घर | + | उसे अच्छे लगते वे घर |
− | जिनमें एक आंगन हो | + | जिनमें एक आंगन हो |
− | वे दीवारें अच्छी लगतीं | + | वे दीवारें अच्छी लगतीं |
− | जिन पर गुदे हों | + | जिन पर गुदे हों |
− | किसी बच्चे की तुतलाते हस्ताक्षर, | + | किसी बच्चे की तुतलाते हस्ताक्षर, |
− | यह अनुभूति अच्छी लगती | + | यह अनुभूति अच्छी लगती |
− | कि मां केवल एक शब्द नहीं, | + | कि मां केवल एक शब्द नहीं, |
− | एक सम्पूर्ण भाषा है, | + | एक सम्पूर्ण भाषा है, |
− | अच्छा लगता | + | अच्छा लगता |
− | बार-बार कहीं दूर से लौटना | + | बार-बार कहीं दूर से लौटना |
− | अपनों के पास, | + | अपनों के पास, |
− | उसकी इच्छा होती | + | उसकी इच्छा होती |
− | कि यात्राओं के लिए | + | कि यात्राओं के लिए |
− | असंख्य जगहें और अनन्त समय हो | + | असंख्य जगहें और अनन्त समय हो |
− | और लौटने के लिए | + | और लौटने के लिए |
हर समय हर जगह अपना एक घर | हर समय हर जगह अपना एक घर | ||
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15:48, 26 दिसम्बर 2009 का अवतरण
पिता से गले मिलते
आश्वस्त होता नचिकेता कि
उनका संसार अभी जीवित है।
उसे अच्छे लगते वे घर
जिनमें एक आंगन हो
वे दीवारें अच्छी लगतीं
जिन पर गुदे हों
किसी बच्चे की तुतलाते हस्ताक्षर,
यह अनुभूति अच्छी लगती
कि मां केवल एक शब्द नहीं,
एक सम्पूर्ण भाषा है,
अच्छा लगता
बार-बार कहीं दूर से लौटना
अपनों के पास,
उसकी इच्छा होती
कि यात्राओं के लिए
असंख्य जगहें और अनन्त समय हो
और लौटने के लिए
हर समय हर जगह अपना एक घर