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"त्रासदी / आहत युग / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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छो (त्रासदी / महेन्द्र भटनागर का नाम बदलकर त्रासदी / आहत युग/ महेन्द्र भटनागर कर दिया गया है) |
छो (त्रासदी / आहत युग/ महेन्द्र भटनागर का नाम बदलकर त्रासदी / आहत युग / महेन्द्र भटनागर कर दिया गया है) |
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15:32, 1 जनवरी 2010 का अवतरण
दहशत : सन्नाटादूर-दूर तक सन्नाटा !
सहमे-सहमे कुत्ते
सहमे-सहमे पक्षी
चुप हैं।
लगता है-
क्रूर दरिन्दों ने
निर्दोष मनुष्यों को फिर मारा है,
निर्ममता से मारा है !
रातों-रात
मौत के घाट उतारा है !
सन्नाटे को गहराता
गूँजा फिर मज़हब का नारा है !
ख़तरा,
बेहद ख़तरा है !
रात गुज़रते ही
घबराए कुत्ते रोएंगे,
भय-विह्वल पक्षी चीखेंगे !
हम
आहत युग की पीड़ा सह कर
इतिहासों का मलबा ढोएंगे !