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"त्रासदी / आहत युग / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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− | सहमे-सहमे कुत्ते | + | सहमे-सहमे कुत्ते |
− | सहमे-सहमे पक्षी | + | सहमे-सहमे पक्षी |
− | चुप हैं। | + | चुप हैं। |
− | लगता है- | + | लगता है- |
− | क्रूर दरिन्दों ने | + | क्रूर दरिन्दों ने |
− | निर्दोष मनुष्यों को फिर मारा है, | + | निर्दोष मनुष्यों को फिर मारा है, |
− | निर्ममता से मारा है ! | + | निर्ममता से मारा है! |
− | रातों-रात | + | रातों-रात |
− | मौत के घाट उतारा है ! | + | मौत के घाट उतारा है! |
− | सन्नाटे को गहराता | + | सन्नाटे को गहराता |
− | गूँजा फिर मज़हब का नारा है ! | + | गूँजा फिर मज़हब का नारा है! |
− | ख़तरा, | + | ख़तरा, |
− | बेहद ख़तरा है ! | + | बेहद ख़तरा है! |
− | रात गुज़रते ही | + | रात गुज़रते ही |
− | घबराए कुत्ते रोएंगे, | + | घबराए कुत्ते रोएंगे, |
− | भय-विह्वल पक्षी चीखेंगे ! | + | भय-विह्वल पक्षी चीखेंगे! |
− | हम | + | हम |
− | आहत युग की पीड़ा सह कर | + | आहत युग की पीड़ा सह कर |
− | इतिहासों का मलबा ढोएंगे ! < | + | इतिहासों का मलबा ढोएंगे! |
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15:36, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
दहशत: सन्नाटा
दूर-दूर तक सन्नाटा!
सहमे-सहमे कुत्ते
सहमे-सहमे पक्षी
चुप हैं।
लगता है-
क्रूर दरिन्दों ने
निर्दोष मनुष्यों को फिर मारा है,
निर्ममता से मारा है!
रातों-रात
मौत के घाट उतारा है!
सन्नाटे को गहराता
गूँजा फिर मज़हब का नारा है!
ख़तरा,
बेहद ख़तरा है!
रात गुज़रते ही
घबराए कुत्ते रोएंगे,
भय-विह्वल पक्षी चीखेंगे!
हम
आहत युग की पीड़ा सह कर
इतिहासों का मलबा ढोएंगे!