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20:49, 2 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
उन्होंने ज़मीन दी है स्वेच्छा से
उन्होंने घर छोडा़ है स्वेच्छा से
लाठी के नीचे उन्होंने
बिछा दी है अपनी पीठ।
क्यों तुम्हें यह सब कुछ
दिखायी नहीं देता?
देख रहा हूँ, सब कुछ देख रहा हूँ
स्वेच्छा से
मैं देखने को बाध्य हूँ
स्वेच्छा से
कि मानवाधिकार की लाशें
बाढ़ के पानी में दहती जा रही हैं
राजा के हुक्म से हथकडी़ लग चुकी है
लोकतंत्र को
उसके शरीर से टपक रहा है ख़ून
प्रहरी उसे चला कर ले जा रहे हैं
श्मशान की ओर
हम सब खडे़ हैं मुख्य सड़क पर
देख रहा हूँ केवल
देख रहा हूँ
स्वेच्छा से।
बांग्ला से अनुवाद : विश्वजीत सेन