"कौन ज़्यादा कौन कम / जय गोस्वामी" के अवतरणों में अंतर
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21:00, 2 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
मेरी समझ है कि वे मुख्यमंत्री खुद भी अकेले होते ही शोकग्रस्त हो जाते हैं
-नंदीग्राम के बारे में सुनील गंगोपाध्याय
ताकि पहचान न करा सके
इसलिए जिसकी जीभ
उन्होंने काट ली बलात्कार के बाद
दोनों हाथों से दोनों पैरों को पकड़
फाड़ डाला गया जिसके नवजात बच्चे को,
जिसके पति की गरदन काट कर
फेंक दी गई आँगन के किनारे,
मर गया, फिर भी मुँह में पानी
नहीं देने दिया गया,
उन महिलाओं के भीतर
शोक की जो आग जल रही है
उसे अलग रखो
उस शासक की दो घंटे की उदासी,
जिसने गोली चलाने का हुक्म दिया था
फिर नाप लो
कौन ज़्यादा है, कौन कम
सोचो, किसने कहा था
जीना हराम कर दूंगा
अगर ज़रूरत हुई, तो जान से
मार डालूँगा, जान से...`
इतना ही तो कहा था
तभी मोर के मुँह से आ गया ख़ून
फिर वह नाचते हुए
परिक्रमा करने लगा श्मशानों की
उसके नृत्य से गिरने लगे
हर दिशा में
जलते पंख...
बांग्ला से अनुवाद : विश्वजीत सेन