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Sharda monga (चर्चा | योगदान) |
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पंजाबी लोकगीत | पंजाबी लोकगीत | ||
− | -तिरंजन बैठियाँ नाराँ भला जी झुरमुट पाया ए | + | -तिरंजन बैठियाँ नाराँ भला जी झुरमुट पाया ए, |
− | कूं कूं चर्खया, मैं लाल पूणी कतां के न | + | कूं कूं चर्खया,मैं लाल पूणी कतां के न? |
− | दूर मेरे सवारे, दस वसां के न | + | कत्त बीबी कत्त. |
− | + | दूर मेरे सवारे,दस वसां के न? | |
− | -पेक़े दी मेरी नवीं निशानी कूं कूं चरखा बोले | + | वस बीबी वस. |
− | मुडडे कत कत रात बितायी भर लए पछियाँ गोले | + | -पेक़े दी मेरी नवीं निशानी कूं कूं चरखा बोले, |
− | अजे न कत्या सौ गज खद्दर हाय | + | मुडडे कत कत रात बितायी भर लए पछियाँ गोले, |
− | जदों दा चरखा डाया ए, सस्स नूं तरस न आया ए | + | अजे न कत्या सौ गज खद्दर हाय, |
+ | जदों दा चरखा डाया ए,सस्स नूं तरस न आया ए. | ||
तिरंजन बैठियाँ नाराँ... | तिरंजन बैठियाँ नाराँ... | ||
-सरगी उठ मदानी रिड्कान, भरूं लस्सी दा छन्ना, | -सरगी उठ मदानी रिड्कान, भरूं लस्सी दा छन्ना, | ||
ढोडा मक्खन ले के बेठुं जद आये मेरा चन्ना, | ढोडा मक्खन ले के बेठुं जद आये मेरा चन्ना, | ||
− | बारी होले तक नी लाडो हो के तेरा गबरू आया ए | + | बारी होले तक नी लाडो हो के तेरा गबरू आया ए. |
तिरंजन बैठियाँ नाराँ... | तिरंजन बैठियाँ नाराँ... | ||
− | -चक्की मुड पे आता पीवन दोनों नन्द जिठानी | + | -चक्की मुड पे आता पीवन दोनों नन्द जिठानी, |
− | सस्स मिस्ससां झिडकां दित्तियां कौन लिआवे पानी | + | सस्स मिस्ससां झिडकां दित्तियां कौन लिआवे पानी, |
− | चटक मटक के भाबो आई, सिरे ते मटका चाया ए | + | चटक मटक के भाबो आई, सिरे ते मटका चाया ए. |
तिरंजन बैठियाँ नाराँ... | तिरंजन बैठियाँ नाराँ... | ||
− | -सौ हथ दी लज खुए दी खिच खिच बावाँ | + | -सौ हथ दी लज खुए दी खिच खिच बावाँ, |
− | भार पिंडे ते धौण डौल गई दूर पिंडे दियां रावां | + | भार पिंडे ते धौण डौल गई दूर पिंडे दियां रावां, |
− | दूरों किदरों फाती आये, सिरे ते मटका चाया ए | + | दूरों किदरों फाती आये, सिरे ते मटका चाया ए. |
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तिरंजन बैठियाँ नाराँ... | तिरंजन बैठियाँ नाराँ... | ||
− | -नो मन कनक लियांदी बारों ए लाले डे चाले | + | -नो मन कनक लियांदी बारों ए लाले डे चाले, |
− | साफ़ करदेयाँ मन नहीं धाया, हथीं पे गये छाले | + | साफ़ करदेयाँ मन नहीं धाया, हथीं पे गये छाले. |
− | शाबा सानुं शाबा, असां कम्म करदेयां मन नहीं ढाया ए | + | शाबा सानुं शाबा, असां कम्म करदेयां मन नहीं ढाया ए. |
तिरंजन बैठियाँ नाराँ... | तिरंजन बैठियाँ नाराँ... | ||
− | -असीं निषंग मलंग बेलिया असीं निषंग मलंग | + | -असीं निषंग मलंग बेलिया असीं निषंग मलंग, |
− | सानु हसन खेडण भावे | + | सानु हसन खेडण भावे, |
कम्म काज की आखे सानु, मन दी मौज उड़ाइए, | कम्म काज की आखे सानु, मन दी मौज उड़ाइए, | ||
जदों दी मैं मज्ज वेच के घोड़ी लई, | जदों दी मैं मज्ज वेच के घोड़ी लई, | ||
− | + | दद्ध पीना रह गया ते लिद्द चुकणी पई, | |
− | + | ||
रहे जागीर सलामत साडी हो के रब ने भाग लगाया ए, | रहे जागीर सलामत साडी हो के रब ने भाग लगाया ए, | ||
तिरंतन बैठिया नाराँ, भला जी झुरमुट पाया ए... | तिरंतन बैठिया नाराँ, भला जी झुरमुट पाया ए... |
14:39, 24 जनवरी 2010 का अवतरण
पंजाब मैं औरतें दुपहर में मिलजुल बैठ हँसते, गाते, खेलते घर के काम करतीं हैं:-
पंजाबी लोकगीत
-तिरंजन बैठियाँ नाराँ भला जी झुरमुट पाया ए, कूं कूं चर्खया,मैं लाल पूणी कतां के न? कत्त बीबी कत्त. दूर मेरे सवारे,दस वसां के न? वस बीबी वस. -पेक़े दी मेरी नवीं निशानी कूं कूं चरखा बोले, मुडडे कत कत रात बितायी भर लए पछियाँ गोले, अजे न कत्या सौ गज खद्दर हाय, जदों दा चरखा डाया ए,सस्स नूं तरस न आया ए. तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-सरगी उठ मदानी रिड्कान, भरूं लस्सी दा छन्ना, ढोडा मक्खन ले के बेठुं जद आये मेरा चन्ना, बारी होले तक नी लाडो हो के तेरा गबरू आया ए. तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-चक्की मुड पे आता पीवन दोनों नन्द जिठानी,
सस्स मिस्ससां झिडकां दित्तियां कौन लिआवे पानी, चटक मटक के भाबो आई, सिरे ते मटका चाया ए. तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-सौ हथ दी लज खुए दी खिच खिच बावाँ, भार पिंडे ते धौण डौल गई दूर पिंडे दियां रावां, दूरों किदरों फाती आये, सिरे ते मटका चाया ए.
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तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-नो मन कनक लियांदी बारों ए लाले डे चाले, साफ़ करदेयाँ मन नहीं धाया, हथीं पे गये छाले. शाबा सानुं शाबा, असां कम्म करदेयां मन नहीं ढाया ए. तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-असीं निषंग मलंग बेलिया असीं निषंग मलंग, सानु हसन खेडण भावे, कम्म काज की आखे सानु, मन दी मौज उड़ाइए, जदों दी मैं मज्ज वेच के घोड़ी लई, दद्ध पीना रह गया ते लिद्द चुकणी पई, रहे जागीर सलामत साडी हो के रब ने भाग लगाया ए, तिरंतन बैठिया नाराँ, भला जी झुरमुट पाया ए...