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"इंद्रधनुष में जैसे रंग / देवमणि पांडेय" के अवतरणों में अंतर
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इंद्रधनुष में जैसे रंग | इंद्रधनुष में जैसे रंग | ||
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ख़्वाब रहे हैं मेरे संग। | ख़्वाब रहे हैं मेरे संग। | ||
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उस चेहरे ने दस्तक दी | उस चेहरे ने दस्तक दी | ||
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तन-मन में भर गई उमंग। | तन-मन में भर गई उमंग। | ||
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प्रेम नगर मे पता चला | प्रेम नगर मे पता चला | ||
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चाहत की गलियाँ हैं तंग। | चाहत की गलियाँ हैं तंग। | ||
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मैं कुछ ऐसे तन्हा हूँ | मैं कुछ ऐसे तन्हा हूँ | ||
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जैसे कोई कटी पतंग। | जैसे कोई कटी पतंग। | ||
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जीना-मरना तेरे संग। | जीना-मरना तेरे संग। | ||
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लमहे में सदियाँ जी लें | लमहे में सदियाँ जी लें | ||
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हम तो ठहरे, यार, मलंग। | हम तो ठहरे, यार, मलंग। | ||
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11:13, 29 जनवरी 2010 का अवतरण
इंद्रधनुष में जैसे रंग ख़्वाब रहे हैं मेरे संग।
उस चेहरे ने दस्तक दी तन-मन में भर गई उमंग।
प्रेम नगर मे पता चला चाहत की गलियाँ हैं तंग।
मैं कुछ ऐसे तन्हा हूँ जैसे कोई कटी पतंग।
ख़ुशबू ने फूलों से कहा जीना-मरना तेरे संग।
लमहे में सदियाँ जी लें हम तो ठहरे, यार, मलंग। </poem>