भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बेटियाँ / कुँवर बेचैन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[कुँवर बेचैन]]
+
रचनाकार: [[कुँअर बेचैन]]
[[Category:कुँवर बेचैन]]
+
[[Category:कुँअर बेचैन]]
 
[[Category:कविताएँ]]
 
[[Category:कविताएँ]]
  

12:30, 29 दिसम्बर 2006 का अवतरण

रचनाकार: कुँअर बेचैन

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*

बेटियाँ-

शीतल हवाएँ हैं

जो पिता के घर बहुत दिन तक नहीं रहतीं

ये तरल जल की परातें हैं

लाज़ की उज़ली कनातें हैं

है पिता का घर हृदय-जैसा

ये हृदय की स्वच्छ बातें हैं

बेटियाँ -

पवन-ऋचाएँ हैं

बात जो दिल की, कभी खुलकर नहीं कहतीं

हैं चपलता तरल पारे की

और दृढता ध्रुव-सितारे की

कुछ दिनों इस पार हैं लेकिन

नाव हैं ये उस किनारे की

बेटियाँ-

ऐसी घटाएँ हैं

जो छलकती हैं, नदी बनकर नहीं बहतीं