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− | + | भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ | |
− | + | बलि-बलि जाऊँ हियरा लगाऊँ | |
− | + | हरवा बनाऊँ घरवा सजाऊँ | |
− | + | मेरे जियरवा का, तन का, जिगरवा का | |
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20:56, 31 जनवरी 2010 का अवतरण
सप्ताह की कविता | शीर्षक: बलि-बलि जाऊँ रचनाकार: श्रीधर पाठक |
1. भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ बलि-बलि जाऊँ हियरा लगाऊँ हरवा बनाऊँ घरवा सजाऊँ मेरे जियरवा का, तन का, जिगरवा का मन का, मँदिरवा का प्यारा बसैया मैं बलि-बलि जाऊँ भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ 2. भोली-भोली बतियाँ, साँवली सुरतिया काली-काली ज़ुल्फ़ोंवाली मोहनी मुरतिया मेरे नगरवा का, मेरे डगरवा का मेरे अँगनवा का, क्वारा कन्हैया मैं बलि-बलि जाऊँ भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ